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मेरे ज़िस्म से मिलता है तू कोई हबाब जैसे ,
मेरे लबो पे है शोखी तेरी अफ़ताब जैसे ,पानी तू है कितना शीतल, तृप्त कर दे जल-ओ-थल.
जादू छ रहा है तेरा मुझपे गुलाब जैसे,
है पंखुड़ियों से झड़ रही शबाब जैसे,
पानी तुझ बिन क्या जीवन, क्या फूल-पौधे-ओ-वन.
उड़ती तितलियाँ हो और, कोई सुनहरे ख्वाब जैसे,
चिचिलाती धुप में, मिल जाए रबाब जैसे,
पानी तू तो है अनमोल, आत्मा हो गई गोलम गोल.
मेरे हर पूछे सवाल का हो कोई ज़वाब जैसे,
बिखरी हुई रियासत के इकलौते नवाब जैसे,
पानी बिन न कल/कारखाना, यो है सम्रिध्ही का तहखाना.
ताज़े गोश्त के पकते हुए, शाही कबाब जैसे,
पैमाने में छलकते हुए, ठंडी शराब जैसे,न हो मय/खाने की धूम, ज्यों हो जाए पानी गुम.
सुलगती शमा पे हो पड़ा, पर्दा-ए-हिजाब जैसे,
परवाने को मिल जाए महजबीं, दहकती आग जैसे,
पानी तूझ बिन सब है सून, नदी नाले-ओ-लागून.
इस अशार का जो समझे लब्जो लुबाब जैसे,
इक क़तात में ही मिल जाए कोई अज़ाब जैसे,"एक एक क़तरा सोच समझ के बहाओ,
आओ पानी को मिल जुल के बचाओ " :)
SAVE WATER. SAVE LIFE.
index:
हबाब = bubbles, शोखी = lively, आफ़ताब = sun, शबाब = youth, रबाब = pale cloud/cool wind/ flute like musical instrument, हिजाब = veil, महजबीं = beauty, अशार = poem, लब्जो लुबाब = talking point, क़तात = segment, अज़ाब = wonder.
© 2011 SOMYA HARSH,. all rights reserved
4 comments:
Indeed a beautiful poem..you have guts to express your ideas in a poetic form. Use of Urdu words are quite amusing as a young generation we are at a state of disconnection with this flowing and powerful language..Message is clear if we don't save water, we will perish. I expect more beautiful poems from you. May God give more power to your pen.
I loved the poem. You have beautifully personified water. Thanks for sharing. Keep posting more of your poems.
bahut badiya harsh miyaan..
keep it up...
koi to sahi disha me soch raha hai
Xllent use of your pen bhai....words r so impressive that the message from the poem is very clear...keep it up buddy.
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